मुख्य पशु चिकित्साधिकारी के मनमानी जवाब से ग्रामीणों में पनप रहा रोष शासन से की कार्यवाही की मांग
गोंडा।जनपद गोंडा के तहसील मनकापुर अंतर्गत तहसील मुख्यालय से करीब 2 किलोमीटर दूरी पर स्थित एक गांव में घायल बंदर की पशु चिकित्सा विभाग द्वारा इलाज न देने के कारण तड़फ तड़फ कर मौत हो गई। गांव के प्रधान ने बताया कि घायल बंदर का इलाज करने के लिए पशु पालन तथा वन विभाग से गुहार लगाते हुए जब बात नहीं सुनी गई तो ग्रामीणों ने 112 तक भी डायल कर दिया था,लेकिन पशुपालन विभाग की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ा।बल्कि उल्टे मुख्य पशु चिकित्साधिकारी ने यहां तक कह दिया था कि जाओ डी एम से कह दो इमरजेंसी में पशु के इलाज की कोई अतिरिक्त व्यवस्था नहीं है।
सोमवार की देर शाम तहसील मनकापुर अंतर्गत तहसील मुख्यालय से सटे गांव पंडितपुर में एक लंगूर बंदर अचानक पेड़ से गस खाकर गिर पड़ा,तो वहां पर मौजूद ग्रामीणों ने तत्काल बंदर को उठाकर इलाज कराने के लिए स्थानीय वन विभाग के आला अधिकारियों तथा मुख्य पशु चिकित्साधिकारी को टेलीफोन करके गुहार लगाई लेकिन सरकार के इन नुमाइंदो के आंखों से मर चुकी मानवता पर कोई फर्क नहीं पड़ा।और इलाज तो करना दूर छोड़ो ढंग से बात करना भी मुनासिब नहीं समझा। और इलाज के संबंध में बात करने पर मुख्य पशु चिकित्साधिकारी ठाकुर प्रसाद पांडेय ने कहा कि इमरजेंसी में किसी डॉक्टर व इलाज की व्यवस्था नहीं है, जाओ डी एम से कह दो। बहरहाल मरता क्या ना करता की दशा पर ग्रामीणों ने डायल 112 पुलिस बुलाकर इलाज करने की कोशिश की,लेकिन पुलिस क्या कर सकती थी, पुलिस ने भी बंदर को पानी पिलाकर कंबल ओढ़ाकर चलता बनी।इसके बाद मंगलवार को तड़प तड़प कर बंदर की मौत हो गई।वही पशुपालन विभाग के मनमाने जवाब से ग्रामीणों में रोष पनप रहा है।और पंडितपुर ग्राम सभा के प्रधान समेत दर्जनों लोगों ने कड़ा एतराज जताते हुए मुख्य पशु चिकित्साधिकारी के विरुद्ध शासन से कार्यवाही की मांग की है।
ग्राम प्रधान आशुतोष पांडेय के सहयोग से ग्रामीणों ने विधि विधान से व्यवस्था करते हुए बंदर का अंतिम संस्कार किया है। तथा लोगों का कहना है कि आखिर वन्य जीव संरक्षण के लिए सरकार की क्या व्यवस्था है?फोन करने पर टाल मटोल करके विभागीय अधिकारी क्यों उदासीनता बरतते हैं।
गोंडा से पं बागीश तिवारी की रिपोर्ट