उत्तर प्रदेश के गोंडा में 2 ग्राम प्रधान और दो ग्राम सचिव सहित 6 लोगों के खिलाफ पशु क्रूरता अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। जिससे ग्राम प्रधानों में हड़कंप मचा हुआ है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक उमरी बेगमगंज पुलिस में ग्राम पंचायत पकवान गांव और ताराडीह ग्राम प्रधान और दोनों गांव के सचिव सहित 6 लोगों के खिलाफ जांच रिपोर्ट आने के उपरांत जिलाधिकारी नेहा शर्मा के आदेश पर मुकदमा दर्ज हुआ है। शिकायत मिलने के बाद डीएम के आदेश पर गौ आश्रय केंद्रों के निरीक्षण के दौरान गंभीर लापरवाही और भ्रष्टाचार की पुष्टि हुई थी।
भ्रष्टाचार उजागर: एफआईआर रिपोर्ट के मुताबिक गौ-आश्रय केंद्रों के संचालन के लिए शासन से प्रति गौवंश खर्च के रूप में 50 रुपए प्राप्त होता है, इसके अतिरिक्त केयरटेकर को 237 रुपए प्रतिदिन का भुगतान अलग से किया जाता है। इसके बावजूद शासन की मंशानुरूप गौवंशों के लिए व्यवस्था नहीं की जाती है। जांच के दौरान गौ-आश्रय केंद्रों में पाया गया था कि चारा और स्वच्छ पेयजल तक की व्यवस्था नहीं उपलब्ध है। यही नहीं, गौ-आश्रय केंद्रों में मृत गौवंशों के निस्तारण में भी घोर लापरवाही पाई गई थी।
पशु चिकित्सा अधिकारी की जांच में खुलासा: 8 जनवरी 2025 को मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी के जांच में गौ-आश्रय केंद्रों की बदहाली उजागर हो गई थी, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी के जांच रिपोर्ट को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने दोनों ग्राम प्रधान, दोनों गांव के सचिव और केयरटेकर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने का आदेश जारी किया था।
इनके खिलाफ हुई कार्रवाई: मामले में पकवान गांव के ग्राम प्रधान हरिप्रसाद, ग्राम सचिव विमलेश कुमार और केयरटेकर के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है, इसी क्रम में ग्राम पंचायत ताराडीह के ग्राम प्रधान भागीरथ, ग्राम सचिव श्यामसुंदर और केयरटेकर के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुआ है।
प्रशासन की सख्ती का असर: जिलाधिकारी के निर्देश के लंबे समय बाद खंड विकास अधिकारी बेलसर ने मामले में गंभीरता दिखाई है, बीडीओ के निर्देश पर सहायक विकास अधिकारी पंचायत, रवि प्रकाश मिश्रा ने उमरी बेगमगंज पुलिस में ग्राम प्रधान सहित 6 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है।