घाघ और भड्डरी की सदियों पुरानी कहावतें आज भी मौसम और सेहत के बीच गहरा रिश्ता बताती हैं। जानिए बारह महीने में किन चीज़ों से करें परहेज़ और क्यों? स्वस्थ्य रहने के लिए आज भी उपयोगी हैं घाघ कि कहावते। डॉक्टर भी मानते हैं घाघ कि कहावतों को तार्किक।
घाघ-भड्डरी की कहावतें आज भी करती हैं मौसम और सेहत की सटीक भविष्यवाणी, जानिए बारह महीने की सेहत का देसी मंत्र
डॉक्टर ओपी भारती
गोंडा:जब मौसम करवट बदलता है, तो न सिर्फ प्रकृति पर असर पड़ता है, बल्कि हमारे शरीर पर भी इसका सीधा प्रभाव पड़ता है। यही वजह है कि बदलते मौसम के साथ कई बीमारियां भी जन्म लेने लगती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सदियों पहले ही हमारे देश के देसी वैज्ञानिक 'घाघ और भड्डरी' ने इन मौसमी बदलावों से शरीर को कैसे बचाया जाए, इसका पूरा खाका तैयार कर दिया था?
घाघ और भड्डरी: देसी ज्ञान के दो अनमोल रत्न
उत्तर प्रदेश की धरती पर जन्मे 'घाघ' जहां खेती-किसानी और स्वास्थ्य से जुड़ी कहावतों के लिए प्रसिद्ध हैं, वहीं 'भड्डरी' वर्षा, ज्योतिष और जीवनशैली को लेकर अनमोल सुझाव देती हैं। दोनों की कहावतें न सिर्फ अनुभव की उपज हैं, बल्कि आज भी वैज्ञानिक नजरिए से सटीक साबित होती हैं।
साल के 12 महीने और सेहत के 12 नियम – देसी कैलेंडर का सेहतमंत्र
घाघ ने हर महीने से जुड़ी कुछ चीज़ों को खाने-पीने से परहेज की सलाह दी थी। उनका मानना था कि हर महीने की अपनी तासीर होती है, और कुछ चीज़ें उस समय शरीर के लिए हानिकारक साबित हो सकती हैं।
कहावत कुछ यूं है:
"चैते गुड़ बैसाखे तेल, जेठे पंथ असाढ़े बेल।
सावन साग न भादों दही, क्वार करेला न कातिक मही।।
अगहन जीरा पूसे धना, माघे मिश्री फागुन चना।
ई बारह जो देय बचाय, वहि घर बैद कबौं न जाय।।"
इसका अर्थ:चैत में गुड़, बैसाख में तेल, जेठ में यात्रा, आषाढ़ में बेल, सावन में हरा साग, भादों में दही, क्वार में करेला, कार्तिक में मट्ठा, अगहन में जीरा, पूस में धनिया, माघ में मिश्री, और फागुन में चना, इन सभी चीजों का परहेज करने से बीमारियां पास नहीं आतीं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी मानते हैं घाघ-भड्डरी की कहावतें उपयोगी
वज़ीरगंज सीएचसी के अधीक्षक डॉ. आशुतोष शुक्ला का कहना है कि “घाघ और भड्डरी की कहावतें हमारे पूर्वजों का ऐसा ज्ञान हैं, जो आधुनिक विज्ञान की कसौटी पर भी खरा उतरता है। अगर हम इन देसी नियमों का पालन करें तो मौसम से जुड़ी कई बीमारियों से आसानी से बचा जा सकता है।”
क्यों ज़रूरी है इन कहावतों को समझना?
आज के समय में जब लाइफस्टाइल बीमारियों का बड़ा कारण बन चुकी है, ऐसे में घाघ-भड्डरी जैसे देसी वैज्ञानिकों की बातों पर ध्यान देना और अपने खानपान को मौसम के हिसाब से ढालना हमारी सेहत के लिए बेहद लाभकारी साबित हो सकता है।