गोण्डा में वृद्धावस्था पेंशन को लेकर डीएम नेहा शर्मा का बड़ा निर्देश -15 मई तक सभी लाभार्थियों का फिजिकल व आधार सत्यापन अनिवार्य, अपात्र या मृतक पाए गए तो कर्मचारी पर कार्रवाई तय।
गोण्डा में पेंशन घोटालों पर लगेगा ब्रेक! DM नेहा शर्मा का सख्त आदेश- हर लाभार्थी का होगा भौतिक सत्यापन
पंश्याम त्रिपाठी/बनारसी मौर्या
गोण्डा।वृद्धावस्था पेंशन योजना के अंतर्गत किसी भी तरह की धांधली और अपात्र लोगों को भुगतान की संभावनाओं पर रोक लगाने के लिए जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने जनपद के सभी खंड विकास अधिकारियों और अधिशासी अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि 15 मई 2025 तक हर लाभार्थी का सघन भौतिक सत्यापन कर लिया जाए।
पेंशन उन्हीं को जो वाकई हकदार हों!
यह फैसला वित्तीय वर्ष 2025-26 की पेंशन प्रक्रिया को पारदर्शी और भरोसेमंद बनाने के लिए लिया गया है। डीएम ने साफ शब्दों में कहा है कि “अब किसी मृतक या अपात्र को पेंशन का भुगतान नहीं होने दिया जाएगा, और यदि ऐसा हुआ तो जिम्मेदार कर्मचारी कड़ी कार्रवाई के लिए तैयार रहें।”
ई-केवाईसी और आधार सीडिंग अनिवार्य
सत्यापन के दौरान ई-केवाईसी और एनपीसीआई पोर्टल पर आधार लिंकिंग की भी अनिवार्यता होगी। कई मामलों में अभी तक आधार प्रमाणीकरण नहीं हो पाया है, जिससे पेंशन वितरण में दिक्कतें आती हैं। अब यह काम भी एक साथ होगा ताकि भविष्य में डिजिटल बाधाएं समाप्त की जा सकें।
गलत रिपोर्टिंग पर होगी बड़ी कार्रवाई
नेहा शर्मा ने सख्त लहजे में कहा है कि यदि किसी सच्चे पात्र लाभार्थी को मृतक या अपात्र घोषित किया गया, तो सत्यापन करने वाले कर्मचारी पर प्रशासनिक कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। सत्यापन रिपोर्ट की जांच वरिष्ठ अधिकारी खुद करेंगे, जिससे कोई गड़बड़ी न रह जाए।
जीरो पावर्टी अभियान से जोड़ा गया यह मिशन
सत्यापन कार्य को ‘जीरो पावर्टी अभियान’ से भी जोड़ा गया है। इसका उद्देश्य न सिर्फ अपात्रों को हटाना है, बल्कि 60 वर्ष या उससे अधिक उम्र के वंचित निर्धनजनों को योजना में जोड़ना भी है। ऐसे लाभार्थियों के लिए आवेदन, सत्यापन और स्वीकृति – तीनों प्रक्रिया एक साथ तेजी से पूरी की जाएगी।
सत्यापन की टाइमलाइन इस प्रकार है:
- 10 मई 2025: फील्ड लेवल पर सभी लाभार्थियों का सत्यापन कार्य पूरा करना।
- 15 मई 2025: सत्यापित सूची जिला समाज कल्याण अधिकारी को सौंपना।
- 25 मई 2025: मृतक/अपात्र पाए गए पेंशनरों की पेंशन रोकने की अंतिम कार्रवाई।
जिलाधिकारी नेहा शर्मा का यह कदम पेंशन व्यवस्था को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है। यदि यह मॉडल सफल होता है, तो यह उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों के लिए भी एक उदाहरण बन सकता है।