गोंडा के खरगूपुर में एक सनसनीखेज जमीन घोटाले का खुलासा हुआ है। फर्जी दस्तावेज, नकली मालकिन और संगठित ठग गैंग ने 58 लाख की ठगी की। जानें कैसे पुलिस ने मास्टरप्लान को बेनकाब किया।
"फर्जी मालकिन" और 58 लाख की ठगी: जब सच निकला स्क्रिप्टेड धोखा!
कृष्ण मोहन
गोंडा जिले के खरगूपुर में पुलिस ने एक ऐसी आपराधिक कहानी का खुलासा किया है, जिसे सुनकर आप भी दंग रह जाएंगे। 7 लोगों के इस गिरोह ने मिलकर न सिर्फ जमीन बेचने का झांसा दिया, बल्कि असली जमीन की मालकिन की जगह एक महिला को ‘फर्जी मालकिन’ बनाकर पेश किया और ठग लिए पूरे 58 लाख रुपये।
लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती। इसमें RTGS के जरिए हुए लेनदेन, बनावटी आधार-पैन कार्ड, और रजिस्ट्रेशन ऑफिस तक की तैयारियाँ शामिल थीं। पुलिस की सूझबूझ से इस हाईप्रोफाइल साजिश का परदाफाश हो सका।
असली खेल की शुरुआत
शुरुआत हुई जब वादी शत्रुहन लाल तिवारी, जो खरगूपुर बाजार के निवासी हैं, को एक सुनहरा मौका बताया गया। कहा गया कि एक कीमती जमीन बहुत सस्ते में मिल रही है। उन्हें जमीन दिखाई गई, और जल्द ही सौदा तय हो गया—58 लाख रुपये में!
लेकिन असली ट्विस्ट तब आया, जब जमीन की मालकिन बताई जा रही काजल देवी, असल में कोई और निकली। असली मालकिन मालती देवी मध्य प्रदेश में रहती थीं, लेकिन यहां काजल ने उनके नाम पर फर्जी आधार कार्ड, पैनकार्ड और बैंक पासबुक बनाकर खुद को मालती देवी साबित कर दिया।
कैसे हुआ इतना बड़ा फर्जीवाड़ा?
इस गिरोह का काम बेहद संगठित था। पुलिस पूछताछ में सामने आया कि ये लोग जमीन की जानकारी तहसील से निकालते थे, फिर असली मालिक की पहचान बदलकर उसका फर्जी क्लोन तैयार करते थे—फर्जी डॉक्युमेंट्स, बैंक अकाउंट, यहां तक कि मालकिन का व्यवहार तक नकली!
इस केस में काजल देवी ने मालती देवी बनकर 35 लाख रुपये RTGS और 23 लाख रुपये नकद वसूल लिए। जब 1 अप्रैल 2025 को शत्रुहन बैनामा कराने बहराइच पहुंचे, तो सच्चाई सामने आई—मालकिन और उनके पूरे परिवार का अस्तित्व ही झूठा निकला।
पुलिस की सटीक कार्यवाही: गैंग धराया!
थाना खरगूपुर पुलिस ने एसपी विनीत जायसवाल और सीओ आनंद कुमार राय के निर्देशन में एक जबरदस्त कार्रवाई करते हुए 7 आरोपियों को धर दबोचा। उनके पास से 21.40 लाख रुपये नकद व RTGS के सबूत, 8 मोबाइल और 1 होंडा अमेज कार बरामद हुई।
गिरफ्तार किए गए आरोपी:
शशांक तिवारी, कृष्ण कुमार उर्फ रूस्तम (हिस्ट्रीशीटर), अशोक चौहान,अशोक यादव,राजू मिश्रा,शांति देवी,काजल देवी (फर्जी मालकिन)
डराने की भी कोशिश: केस वापस लेने को धमकी
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि गिरोह ने जब देखा कि मामला खुल गया है, तो वादी को रास्ते में रोककर धमकी दी कि मुकदमा वापस ले लो। लेकिन वादी डरे नहीं, और एक और FIR दर्ज हुई।
गिरोह की कार्यप्रणाली: दूर प्रदेश की जमीन की जानकारी लेना, फर्जी डॉक्युमेंट तैयार करना, नकली मालिक/मालकिन बनाना, ग्राहक को बहकाना, सौदा फाइनल करके पैसे हड़पना और अगर पकड़ में आ जाएं, तो धमकी देना!
पुलिस की टीम जो बनी रक्षक:
इस गिरफ्तारी में थानाध्यक्ष प्रदीप कुमार सिंह समेत 11 सदस्यीय टीम ने बेहतरीन काम किया। एसओजी यूनिट की तकनीकी और मैन्युअल छानबीन ने पूरी साजिश को बेनकाब कर दिया।