लकड़ी माफियाओं की दहशत में क्षेत्रवासी चुप्पी साधने को हुए मजबूर
कमलेश
खमरिया-खीरी:उत्तर खीरी वन रेंज धौरहरा क्षेत्र में हरे-हरे नोटो की चकाचौंध को लेकर बेलगाम हुए लकड़ी माफियाओं पर जब वन विभाग अंकुश लगाने में नाकाम हुआ तो उसकी जिम्मेदारी आख़िरकार खमरिया पुलिस को उठानी पड़ गई। जहां अवैध रूप से काटे जा रहे फलों से लदे आधा दर्जन देशी आम के पेंडो की सूचना पाकर मौके पर पहुची पुलिस ने लकड़ी को कब्जे में लेकर दो लकड़ी माफियाओं पर मुक़दमा दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी,जिसके बाद से क्षेत्र के माफियाओं में अफ़रातफ़री का माहौल बना हुआ है।
धौरहरा वन रेंज क्षेत्र में बेलगाम हुए लकड़ी माफियाओं के बेबस नजर आ रहे वन विभाग को देख अब पुलिस ने हरे भरे पेंडो को बचाने की ठान लकड़ी माफ़िया पर लगाम लगाने का काम शुरू कर दिया,जिसका जीता जागता नज़ारा खमरिया थाना क्षेत्र के जेठरा गांव में दिखाई दिया जहां फलों से लदे खड़े आधा दर्जन देशी आम के पेंडो का सफ़ाया कर रहे मोबीन व लुटटी उर्फ मतीन पुत्रगण आबिद निवासी जेठरा की सूचना मुखबिर से थाना प्रभारी ओपी राय को मिली तो उन्होंने तत्काल ऐक्शन ले उपनिरीक्षक कपिल राघव के साथ टीम मौके पर भेज दी,जहां पुलिस के आने की सूचना मिलते ही लकड़ी माफ़िया अपने साथियों के साथ फ़ुर्र हो गया। वही मौके पर पहुची पुलिस टीम को काटी गई छः आम के पेंडो की लकड़ी के साथ दो इलेक्ट्रिक आरी मिली,जिसको कब्जे में लेकर मुक़दमा पंजीकृत करके कार्रवाई शुरू कर दी। जिसको देख जहां पर्यावरण प्रेमियों में खुशी का माहौल व्याप्त है,वही लकड़ी माफ़ियाओं में ख़लभली मची हुई है।
लकड़ी माफ़िया की दहशत के आगे क्षेत्रवासी चुप्पी साधने को मजबूर
क्षेत्र में वन विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों बेबसी के चलते लकड़ी माफ़िया दबंगई पर भी उतारा हो गया है,हालात यह हो गए है कि क्षेत्र में अवैध रूप से काटे जा रहे पेड़ो की शिकायत कोई वन विभाग से कर दे,तो उसके चंद मिनट बाद ही लकड़ी माफ़िया का फोन शिकायत कर्ता के पास आकर मुंह बंद रखने की धमकी के साथ कार्रवाई करवाने तक का चैलेंज भी करने का सिलसिला शुरू हो जाता है,जिसकी वजह से क्षेत्रवासी हरियाली पर आरा चला रहे लकड़ी माफ़िया की शिकायत खुलकर नही कर पाते। उसी का नतीजा जेठरा में भी देखने को मिला जहां एक भी गवाह व शिक़ायत कर्ता खुलकर सामने नही आ सका,जिसकी वजह से काटे गए पेंडो की लकड़ी व आरी कब्जे में लेकर उपनिरीक्षक कपिल राघव को स्वयं वादी बनकर वन संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत मुक़दमा पंजीकृत करवाना पड़ा।