मूड़ा सवारन गांव में अचानक लगी आग से 9 बीघा गेहूं की फसल जलकर राख हो गई। फायर ब्रिगेड के देर से पहुंचने पर किसान भड़क उठे। पढ़ें पूरा दर्दनाक घटनाक्रम।
"आग बनकर बरसी कयामत: मूड़ा सवारन गांव में 9 बीघा गेहूं की फसल राख, खेतों में रोते नजर आए किसान"
नागेंद्र प्रताप शुक्ला
बिजुआ, लखीमपुर खीरी।जिस खेत में किसान ने महीनों पसीना बहाकर फसल उगाई थी, उसी खेत में मंगलवार दोपहर ऐसी आग लगी कि चंद मिनटों में सब कुछ राख हो गया। ये नजारा गोला गौकर्णनाथ तहसील के मूड़ा सवारन गांव का है, जहां छोटेलाल के खेत से उठी आग की लपटें देखते ही देखते नत्थूलाल और उमाशंकर के खेतों तक पहुंच गईं और करीब 9 बीघा में खड़ी गेहूं की फसल को निगल गईं।
चीखते किसान, धधकती फसलें, और गायब फायर ब्रिगेड
दोपहर करीब 1 बजे अचानक खेतों से धुंआ उठता देख गांव के लोग दौड़े। लोग जब तक कुछ समझ पाते, तब तक आग विकराल हो चुकी थी। किसान बाल्टी, बोरी, मिट्टी और ट्रैक्टर के सहारे आग बुझाने में जुट गए। किसानों की आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे, क्योंकि उनके कई महीनों की मेहनत चंद मिनटों में जलकर खाक हो गई।
ग्रामीणों ने फायर ब्रिगेड और तहसील प्रशासन को कॉल किया, लेकिन आग बुझने तक दमकल की गाड़ी नहीं पहुंची। ये लापरवाही भी किसानों की पीड़ा को और गहरा कर गई।
कंधे से कंधा मिलाकर लड़े गांव वाले
करीब दो घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद ग्रामीणों ने आग पर काबू पाया। अगर थोड़ा और वक्त बीत जाता, तो कई और खेतों में आग फैल सकती थी। ग्रामीणों की सामूहिक मेहनत ने गांव को बड़ी तबाही से बचा लिया।
सरकारी सहायता की उम्मीद में टकटकी लगाए किसान
घटना की सूचना मिलने पर क्षेत्रीय लेखपाल सिमरन शाक्य मौके पर पहुंचीं और नुकसान का आंकलन कर रिपोर्ट तहसील प्रशासन को सौंप दी है। अब सभी किसान इस आस में हैं कि शायद सरकार उनकी इस बर्बादी का कुछ मुआवजा दे सके।