ईसानगर और खमरिया क्षेत्र में धूमधाम से मनाई गई अंबेडकर जयंती। स्कूलों में बच्चों की भाषण, पोस्टर और कविता प्रतियोगिताएं, विधायक ने भाईचारे का संदेश दिया।
ईसानगर-खमरिया में बाबा साहब की जयंती पर उमड़ा जनसैलाब, स्कूलों में गूंजे 'जय भीम' के नारों के बीच बच्चों ने पेश कीं झलकियाँ, विधायक बोले- 'अंबेडकर एक व्यक्ति नहीं, विचार हैं'
कमलेश
खीरी/खमरिया:सोमवार को खीरी जिले के ईसानगर और खमरिया क्षेत्र में डॉ. भीमराव अंबेडकर की 133वीं जयंती एक उत्सव की तरह मनाई गई। कहीं फूलों से सजी बाबा साहब की प्रतिमा थी, तो कहीं छोटे-छोटे बच्चे हाथ में पोस्टर लेकर उनके विचारों की गूंज फैला रहे थे। पूरा इलाका 'जय भीम' और 'संविधान जिन्दाबाद' के नारों से गूंज उठा।
स्कूलों और कॉलेजों में इस दिन को खास बनाने के लिए बच्चों ने भाषण, कविता, निबंध, क्विज़, पोस्टर मेकिंग और सुलेख प्रतियोगिताओं में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। हर प्रतियोगिता के पीछे एक ही संदेश था "बाबा साहब को जानो, उनके विचारों को अपनाओ।"
बच्चों ने पेश किया संघर्ष से समर्पण तक का सफर
सीताराम मनवार पब्लिक स्कूल महरिया में प्रधानाचार्य श्रीराम मनवार ने बच्चों के साथ डॉ. अंबेडकर के चित्र पर पुष्प अर्पित किए। बच्चों ने मंच पर आकर उनके जीवन के संघर्षों, शिक्षा के प्रति जज्बे और संविधान निर्माण में निभाई गई ऐतिहासिक भूमिका को कविता और भाषणों के माध्यम से जीवंत कर दिया।
वहीं, कंपोजिट स्कूल दिलावलपुर और संविलियन विद्यालय नारीबेहड़ में भी प्रतियोगिताओं के आयोजन हुए। शिक्षकों ने न केवल बच्चों को पुरस्कृत किया, बल्कि उन्हें बाबा साहब के पदचिह्नों पर चलने की सीख भी दी।
गांव-गांव में श्रद्धा, पुलिस प्रशासन ने दिखाई सतर्कता
खमरिया, गैसापुर, लालपुर और मड़वा जैसे गांवों में भी अंबेडकर जयंती श्रद्धा और उत्साह से मनाई गई। लोग प्रतिमाओं पर माल्यार्पण कर एक-दूसरे को बधाई देते नजर आए। खमरिया और ईसानगर के थाना प्रभारियों ओपी राय और देवेंद्र कुमार गंगवार ने पुलिस बल के साथ पूरे क्षेत्र में निगरानी रखी, जिससे हर आयोजन शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ।
विधायक और ब्लॉक प्रमुख ने दिए भाईचारे का संदेश
इस मौके पर धौरहरा विधायक विनोद शंकर अवस्थी और ब्लॉक प्रमुख आलोक कटियार (दीपू) ने लौकाही ईसानगर में बाबा साहब की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किए। उन्होंने लोगों को संबोधित करते हुए कहा,
"डॉ. अंबेडकर एक व्यक्ति नहीं, एक युग चेतना हैं। उनके विचारों की लौ आज भी करोड़ों दिलों को रोशन करती है। हमें मिलकर उनके देखे भारत के सपनों को साकार करना है।"
नए जोश और नई सोच के साथ संकल्प
कार्यक्रम का समापन 'संविधान की शपथ' के साथ हुआ, जहां छात्रों, शिक्षकों और ग्रामीणों ने समानता, न्याय और भाईचारे के मार्ग पर चलने का संकल्प लिया। बाबा साहब की जयंती इस बार सिर्फ एक रस्म नहीं, बल्कि एक चेतना थी-जो पीढ़ियों को दिशा देती रहेगी।