शाहजहांपुर में ढाबे पर बातचीत के दौरान अचानक हुई फायरिंग में ड्राइवर जीसान की गोली लगने से मौत। जानिए उस खौफनाक दोपहर की पूरी कहानी, जो समझौते से शुरू होकर मातम में बदल गई।
उचौलिया:दोपहर का वक्त था। सूरज अपनी तपिश बिखेर रहा था और गांव के बरनैया मोड़ पर स्थित व्रंदावन ढाबा रोज़ की तरह खुला हुआ था। कुछ दोस्त जीसान, तौफीक और आरिफ चाय की चुस्कियों के साथ एक पुराने लेन-देन के झगड़े को खत्म करने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन किसे पता था कि जिस बातचीत की शुरुआत समझौते से होनी थी, उसका अंत किसी की ज़िंदगी छीनने वाली गोली से होगा।
30 वर्षीय जीसान, जो पेशे से ड्राइवर था और तीन बच्चों का पिता, अपने दोस्तों के साथ बैठा था। आरिफ के अनुसार, ढाबे पर उन्होंने गांव के ही एक युवक इंतजार को बुलाया था, जो किसी खुदागंज निवासी ड्राइवर के साथ वेतन को लेकर उलझा हुआ था। सोचा गया था कि बात समझदारी से सुलझेगी, लेकिन बातों का पारा गर्म हुआ और फिजा में बारूद तैरने लगा।
कुछ ही देर बाद दो बाइकों पर सवार चार अज्ञात युवक वहां आ धमके। सब कुछ पलभर में हुआ।
एक ने कमर से तमंचा निकाला और सीधे जीसान के सीने पर गोली चला दी।
चीखों का शोर उठा, और फिर सन्नाटा।
ढाबे की टेबलें उलट गईं, चाय के गिलास ज़मीन पर गिरे, और जीसान खून से लथपथ ज़मीन पर गिर पड़ा।
पुलिस को बुलाया गया, और जीसान को पहले पसगवां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और फिर जिला अस्पताल शाहजहांपुर भेजा गया। लेकिन वहां डॉक्टरों ने जो कहा, उसने जीसान के परिवार की दुनिया उजाड़ दी "अब ये नहीं रहे।"
घर में पसरा मातम...
घर में पत्नी फरमाना बार-बार बेहोश हो रही है। छह साल का बेटा उजैव कुछ समझ नहीं पा रहा कि उसके अब्बू क्यों नहीं उठ रहे। दस महीने की निशा तो बस गोद में चुपचाप मां का आंचल मुंह में डालकर सो गई है
, उसे क्या पता कि उसका बाप अब कभी उसे गोद में नहीं लेगा।
एक समझौते की कीमत...
इस घटना ने सिर्फ एक जान नहीं ली, बल्कि एक परिवार की उम्मीदें, एक मां के सपने और तीन बच्चों का भविष्य छीन लिया।
थाना पुलिस ने मौके पर पहुंचकर फॉरेंसिक जांच और बयान दर्ज किए हैं। हत्यारों की तलाश जारी है।