मनकापुर के अमवा-अशरफाबाद जंगल में लगी भीषण आग पर काबू पाने के लिए वन कर्मियों और स्थानीय लोगों ने मिलकर छह घंटे तक कड़ी मेहनत की। डीएफओ पंकज शुक्ला और फायर ब्रिगेड के प्रयासों से आग को पूरी तरह से बुझाया गया।
डीके पाण्डेय
गोंडा: मनकापुर-छपिया मार्ग पर स्थित अमवा-अशरफाबाद जंगल में आज दोपहर अचानक आग लगने से क्षेत्र में अफरा-तफरी मच गई। सड़क किनारे आग लगने के बाद तेज़ हवा और सूखी पत्तियों ने आग को तेजी से जंगल में फैला दिया, जिससे आसपास के गांवों में खलबली मच गई। इस भीषण आग पर काबू पाने के लिए वन कर्मी, स्थानीय लोग और फायर ब्रिगेड के जवानों ने मिलकर छह घंटे की कड़ी मेहनत की। फिलहाल, सुरक्षा कारणों से वन कर्मियों की तैनाती जारी है और राहत कार्य जारी है।
घटना का विवरण:
यह घटना टिकरी रेंज के अमवा-अशरफाबाद जंगल में हुई, जब दोपहर करीब 11 बजे अमवा गांव के खटिकन गांव के पास सड़क किनारे आग लगी। तेज़ हवाओं ने सूखी पत्तियों को अपने आगोश में लेकर आग को जंगल की ओर बढ़ने दिया। राहगीरों ने तुरंत वन रक्षक राम सेवक सोनकर और वाचर झिनमुन यादव को आग की सूचना दी। इसके बाद, वन टांगिया गांव के लोग, जिनमें महिला, पुरुष और बच्चे शामिल थे, राजाराम चौहान की अगुवाई में आग बुझाने में जुट गए।
कड़ी मेहनत के बाद आग पर काबू:
लेकिन तेज़ गर्मी, धूप और हवाओं ने आग को बुझाने की प्रक्रिया को बेहद मुश्किल बना दिया। फिर वन विभाग ने फायर ब्रिगेड को सूचना दी और लगभग एक घंटे बाद फायर ब्रिगेड की गाड़ी मौके पर पहुंची। हालांकि, जंगल के घने हिस्से और तेज़ हवाओं के कारण गाड़ी को आग बुझाने में मुश्किलें आ रही थीं। इसके बावजूद, करीब चार घंटे की मेहनत के बाद आग पर काबू पाया गया।
दूसरी बार लगी आग:
फायर ब्रिगेड की गाड़ी के वापस लौटने के कुछ समय बाद, तेज़ हवाओं के कारण आग फिर से जंगल के उत्तरी हिस्से में लग गई। इस बार आग की लपटें और भी तेज़ हो गईं। मौके पर डीएफओ पंकज शुक्ला, रेंजर अभिषेक सिंह और अन्य वन कर्मी पहुंचे और उन्होंने फिर से मोर्चा संभाला। फायर लाइन की मदद से सूखी पत्तियों को हटाकर आग को बुझाने का प्रयास किया गया और अंततः घंटों की मेहनत के बाद आग पर पूरी तरह काबू पाया गया।
डीएफओ का बयान:
डीएफओ पंकज शुक्ला ने बताया कि आग लगभग दस एकड़ क्षेत्र में फैली थी, जिसमें सूखी पत्तियां और झाड़-झंखाड़ जलकर राख हो गए। हालांकि, साल के पेड़ों को गंभीर नुकसान होने से बचा लिया गया। छोटे पौधों और नए पौधारोपण को थोड़ा नुकसान हुआ है। डीएफओ ने कहा कि, "वन कर्मियों को सतत निगरानी रखने का निर्देश दिया गया है, ताकि ऐसे हादसे भविष्य में न हो सकें।"
समाप्ति में:
इस हादसे ने यह साबित कर दिया कि स्थानीय समुदाय और वन विभाग के कर्मी अगर एकजुट हों, तो किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटने में सफलता मिल सकती है। आग को फैलने से रोकने में उनके प्रयासों की सराहना की जा रही है, और यह घटना वन विभाग की तत्परता और स्थानीय सहयोग का बेहतरीन उदाहरण बन गई है।