गोंडा के खीरेश्वरी माता मंदिर में भागवत कथा के दौरान सुनाई गई राजा सुद्युम्न की अनोखी पौराणिक कथा, जिसमें शिव के श्राप और देवी की कृपा से जीवन बदल गया।
"जब राजा सुद्युम्न बन गए स्त्री: शिव के शाप और देवी की कृपा से जुड़ी अनोखी पौराणिक कथा!"
डॉ ओपी भारती
गोंडा | वजीरगंज:बालेश्वरगंज कस्बे के प्रसिद्ध खीरेश्वरी माता मंदिर में चल रही श्रीमद्भागवत पुराण कथा इन दिनों श्रद्धालुओं के बीच आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। कथा व्यास पंडित शेषपाल मिश्रा ने कथा के दौरान एक ऐसी रहस्यमयी कथा सुनाई जिसने उपस्थित जनसमूह को पलभर के लिए स्तब्ध कर दिया।
राजा जो स्त्री बने... और फिर पुरुष
पंडित मिश्रा ने बताया कि राजा सुद्युम्न का जन्म इला नामक कन्या के रूप में हुआ था। उनके पिता श्राद्धदेव मनु को पुत्र की चाह थी, लेकिन यज्ञ के दौरान उनकी पत्नी ने पुत्री की कामना कर दी थी। तपस्वी गुरु वशिष्ठ ने अपनी तपशक्ति से इला को पुरुष में परिवर्तित कर दिया और तभी उनका नाम सुद्युम्न पड़ा।
लेकिन नियति को कुछ और ही मंज़ूर था। एक दिन राजा सुद्युम्न वन भ्रमण पर निकले और अनजाने में ऐसे वन क्षेत्र में प्रवेश कर गए जिसे शिव जी ने शापित किया था – कि वहां जो भी पुरुष आएगा, वह स्त्री बन जाएगा। जैसे ही सुद्युम्न वहां पहुंचे, उनका स्त्री रूप फिर प्रकट हो गया।
बुद्ध से विवाह और पुत्र पुरुरवा का जन्म
अब स्त्री बन चुकीं सुद्युम्न, बुद्ध ऋषि के आश्रम में पहुंचीं। बुद्ध ने उन्हें आश्रय दिया और दोनों का गंधर्व विवाह हुआ। इस विवाह से पुरुरवा नामक पुत्र का जन्म हुआ। लेकिन जब सुद्युम्न को अपने पुरुष जीवन की स्मृति वापस आई तो उन्होंने अपनी पुरानी पहचान पाने की इच्छा से गुरु वशिष्ठ की शरण ली।
शिव-पार्वती की पूजा और अद्भुत वरदान
गुरु वशिष्ठ ने हिमालय पर जाकर घोर तपस्या की और भगवान शिव को प्रसन्न कर लिया। शिव जी ने राजा सुद्युम्न को एक अनोखा वरदान दिया – कि वे एक महीने पुरुष और एक महीने स्त्री रूप में रहेंगे। लेकिन यह भी अस्थायी समाधान था।
अंततः गुरु वशिष्ठ ने शिव-पार्वती की संयुक्त आराधना की, जिससे प्रसन्न होकर मां पार्वती ने राजा को शरद नवरात्रि में श्रीमद्देवी भागवत कथा सुनने की प्रेरणा दी। राजा ने पूरे विधिविधान से कथा श्रवण किया और श्राप से मुक्ति पाकर स्थायी रूप से पुरुष रूप में लौट आए।
कथा में जुटी श्रद्धा की भीड़
इस चमत्कारिक कथा को सुनने के लिए क्षेत्र भर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़े। कथा के अंत में विधिवत आरती और प्रसाद वितरण हुआ। पूरे परिसर में आध्यात्मिक ऊर्जा और भक्ति का अद्भुत वातावरण बना रहा।