इमलिया फार्म में बैसाखी पर पुराने निशान साहिब को भावभीनी विदाई देकर 60 फीट ऊंचे नए निशान साहिब की स्थापना की गई। संगत की आंखें नम, दिल श्रद्धा से भरे।
गगन चूमता निशान साहिब, झुकते दिल – इमलिया फार्म गुरुद्वारे में आस्था का नया सूरज
नागेंद्र प्रताप शुक्ला
खीरी (बिजुआ)।इमलिया फार्म के शांत गुरुद्वारा साहिब में रविवार को बैसाखी के पावन अवसर पर एक ऐसा पल जन्मा, जिसने संगत की आंखों को भिगो दिया और दिलों को आस्था से भर दिया। सालों से वहां खड़े पुराने निशान साहिब को पूरे सम्मान के साथ विदाई दी गई, और उसी स्थान पर 60 फीट ऊंचा नया निशान साहिब स्थापित किया गया , जो न सिर्फ आस्था का प्रतीक बना, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों को एक नई रौशनी भी दे गया।
एक-एक रस्म में झलकती रही सेवा की भावना
सुबह की सर्द हवा में जब संगत ने गुरु के द्वार पर सेवा शुरू की, तो हर हाथ सेवा में झुका और हर दिल श्रद्धा से भर उठा। ग्रंथी बाबा सरबजीत सिंह की अगुवाई में जब निशान साहिब को नए स्वरूप में सजाया गया, तो जैसे हर कदम पर ‘वाहेगुरु’ खुद मौजूद थे।
पुराने से विदाई, नए का स्वागत - बिना शब्दों के संवाद
जैसे ही पुराना निशान साहिब नीचे उतारा गया, कई बुजुर्गों की आंखें नम हो गईं। वो सिर्फ एक झंडा नहीं था, वो उनकी यादों, दुआओं और आस्था की निशानी था। और जब नया निशान साहिब ऊंचाई पर लहराने लगा, तो ऐसा लगा जैसे आसमान खुद झुककर उस भाव को सलाम कर रहा हो।
कीर्तन की बानी में भीगी हुई आत्माएं
पड़रिया तुला नानकसर गुरुद्वारे से आए कीर्तन जत्थे ने जब गुरबाणी की आवाज में संगत को नहलाया, तो ऐसा लगा मानो खुद गुरु नानक देव जी हर दिल को छू रहे हों। गुरुद्वारे में कोल्डड्रिंक व शर्बत का लंगर न सिर्फ शरीर को तृप्त कर रहा था, बल्कि हर दिल को सेवा और प्रेम से भर रहा था।
यह सिर्फ एक धार्मिक कार्यक्रम नहीं था, यह उस विरासत का हिस्सा था, जिसमें सेवा, समर्पण और एकता की रूह बसती है।
इस अवसर पर संत बाबा गुरमीत सिंह, मनदीप सिंह, सतवंत सिंह, सिमरन धनोवा, गुरमीत सिंह समेत सैकड़ों श्रद्धालु गवाह बने उस क्षण के, जहां ईंट-पत्थर नहीं, बल्कि भावनाएं जुड़ती हैं।