लखीमपुर के होटल लैंडमार्क में गोबिंद शुगर मिल ऐरा की तीन दिवसीय कार्यशाला संपन्न हुई। कृषि वैज्ञानिकों ने गन्ना उत्पादन बढ़ाने और पेंडी प्रबंधन पर कर्मचारियों को दी विशेष ट्रेनिंग।
तीन दिन की ‘गन्ना पाठशाला’ खत्म: गोबिंद शुगर मिल ऐरा की कार्यशाला में वैज्ञानिकों ने दिए खेत बचाने और फसल बढ़ाने के फॉर्मूले
लखीमपुर खीरी | रिपोर्ट: कमलेश जायसवाल।
जुआरी इंडस्ट्रीज ग्रुप की गोबिंद शुगर मिल ऐरा खमरिया ने इस बार सिर्फ चीनी नहीं बनाई, बल्कि अपने कर्मचारियों को गन्ने की गहराई समझाने वाला ‘ज्ञान’ भी घोल दिया।
तीन दिन तक लखीमपुर के होटल लैंडमार्क में चल रही ‘गन्ना विशेष कार्यशाला’ शुक्रवार को संपन्न हो गई। इस दौरान कृषि विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों ने मिल कर्मचारियों को गन्ना उत्पादन, मिट्टी की सेहत और तकनीकी प्रबंधन के गहरे रहस्य बताए।
सिर्फ गन्ना नहीं, खेती का विज्ञान सिखाया गया
कार्यशाला की अध्यक्षता कर रहे यूनिट हेड आलोक सक्सेना और गन्ना सलाहकार डॉ. फाज़िया तरन्नुम ने बताया कि यह आयोजन सिर्फ एक बैठक नहीं, बल्कि मिल के कर्मचारियों के लिए "खेत से फैक्ट्री तक की समझ बढ़ाने" का एक प्रयास था।
वैज्ञानिकों की टोली ने बताया – कैसे बढ़ेगी पैदावार?
कार्यक्रम में लखनऊ स्थित भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान से आए डॉ. एस. आर. सिंह, अरुण बैठा और डॉ. दिलीप कुमार ने बताया कि गन्ने की पैदावार बढ़ाने के लिए न सिर्फ सही किस्में, बल्कि सही समय और तकनीक भी जरूरी है।
वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. भुवदेव सिंह ने पेंडी प्रबंधन और तकनीकी सुधारों पर विस्तार से जानकारी दी – यानी फसल काटने के बाद खेत में बची पेंडी कैसे दुबारा फसल का आधार बन सकती है, इसका वैज्ञानिक तरीका भी बताया गया।
कार्यशाला का हुआ सम्मानजनक समापन
कार्यक्रम के अंतिम दिन धर्मेंद्र राय, अनूप भदौरिया और एचआर नरेंद्र कुमार ने कार्यशाला को सफल बनाने के लिए आए सभी वैज्ञानिकों और कर्मचारियों का आभार जताया।
कार्यशाला संचालन की जिम्मेदारी गन्ना सलाहकार मानवेन्द्र सिंह ने संभाली और उन्होंने बताया कि यह प्रशिक्षण आगे चलकर मिल और किसानों दोनों के लिए फायदेमंद साबित होगा।