गोंडा के मनकापुर में हुए तीन दिवसीय प्रशिक्षण में किसानों ने सीखी ट्रेंच विधि, रिंग पिट तकनीक, सहफसली खेती और उन्नत यंत्रों से खेती:जानिए कैसे बदल रहा है गन्ने का भविष्य।
अम्बरपुर के खेतों में बिखरी गन्ने की मिठास, जब किसान बने ‘वैज्ञानिक’, और खेती बनी एक रोमांचक प्रयोगशाला!
कृष्ण मोहन
गोंडा जिले के मनकापुर में इन दिनों खेत-खलिहान विज्ञान की पाठशाला बन गए हैं। 11 अप्रैल 2025 को मुख्यमंत्री गन्ना कृषक विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन हुआ, लेकिन जो कुछ किसानों ने सीखा, वह उनके जीवन और खेत दोनों में मीठा बदलाव लाने वाला है। गन्ना विकास विभाग की अगुवाई में हुए इस कार्यक्रम ने परंपरागत खेती को नई सोच, नई तकनीक और नई ऊर्जा से जोड़ दिया।
कार्यक्रम के अंतिम दिन जब प्रशिक्षणार्थी किसान विकासखंड मनकापुर के अम्बरपुर गांव पहुंचे, तो वहां का नज़ारा किसी प्रयोगशाला से कम नहीं था। खेतों में ट्रेंच विधि से बुवाई, रिंग पिट तकनीक, गन्ने के साथ सहफसली खेती और सिंगल बड से तैयार पौधशालाएं देखकर किसान हैरान भी हुए और प्रेरित भी। हर कदम पर उन्हें बताया गया कि अब खेती सिर्फ मिट्टी में बीज बोने की प्रक्रिया नहीं रही, यह अब एक विज्ञान है, जिसमें तकनीक की मिठास घुल चुकी है।
प्रशिक्षण भ्रमण का संचालन डॉ. आर.बी. राम (उप गन्ना आयुक्त, देवीपाटन) के निर्देशन में और जिला गन्ना अधिकारी सुनील कुमार सिंह की देखरेख में हुआ। मौके पर ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक अब्दुल आज़ाद अंसारी ने प्रगतिशील किसानों की प्रयोगात्मक खेती को विस्तार से समझाया। खेतों में उन्नत कृषि यंत्रों की कार्यप्रणाली ने किसानों के चेहरे पर उम्मीद की नई रेखाएँ खींच दीं।
इस मौके पर राजकुमार ताया (महाप्रबंधक गन्ना), अनिल राठौर व सुरेंद्र बहादुर सिंह (सहायक महाप्रबंधक), डॉ. रामलखन सिंह (कृषि विज्ञान केंद्र), जसवंत सिंह (सचिव, गन्ना विकास समिति) और अन्य अधिकारी उपस्थित रहे। प्रशिक्षण में सकलदेव, राजेश सिंह, शशि कुमार, हीरालाल और दीनानाथ सहित 40 से अधिक गन्ना विकास निरीक्षकों और प्रगतिशील कृषकों ने भाग लिया और गन्ने की वैज्ञानिक खेती में मास्टर ट्रेनर की उपाधि प्राप्त की।
कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया गया। यह सिर्फ एक समापन नहीं था, बल्कि गोंडा के गन्ना किसानों के लिए एक नई शुरुआत थी, जहां खेत अब प्रयोगशाला हैं, किसान वैज्ञानिक हैं और गन्ना सिर्फ फसल नहीं, बल्कि भविष्य की मिठास बन चुका है।