खीरी जिले के गुलरिया चीनी मिल में काम कर रहे युवक की अचानक मौत से गांव में मातम। परिजन बोले-करंट लगा, मिल प्रशासन बता रहा हार्ट अटैक। जांच में जुटी पुलिस।
करंट या हादसा? खाद प्लांट में काम कर रहे युवक की संदिग्ध मौत से गांव में मचा कोहराम
नागेंद्र प्रताप शुक्ला
खीरी, उत्तर प्रदेश। एक सामान्य सी दोपहर, जब सब कुछ सामान्य लग रहा था, तभी गुलरिया चीनी मिल के खाद प्लांट से आई एक खबर ने नौसर गांव के लोगों के पैरों तले जमीन खिसका दी। मिल में मजदूरी कर रहे 25 वर्षीय विशाल राज की अचानक हुई मौत ने न केवल उसके परिवार को सदमे में डाला, बल्कि पूरे इलाके को गहरे सवालों में घेर दिया है।
काम पर गया था, कभी वापस नहीं आया...
विशाल राज, पुत्र मूलचन्द, रोज की तरह मंगलवार दोपहर अपने काम पर निकला था। गुलरिया चीनी मिल के खाद प्लांट पर उसकी ड्यूटी थी। करीब शाम 4 बजे अचानक अफरातफरी मच गई—विशाल को अचेत अवस्था में देखा गया और बिजुआ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
करंट से मौत या कुछ और?
मिल प्रशासन की तरफ से मौत का कारण "दिल का दौरा" बताया जा रहा है, लेकिन कर्मचारियों और स्थानीय लोगों के बीच फुसफुसाहटें कुछ और कहती हैं। चर्चा है कि विशाल को काम करते वक्त करंट लगा, और उसी से उसकी जान गई। लेकिन इस पर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है।
ग्रामीणों का गुस्सा और परिजनों का विलाप
जैसे ही खबर गांव पहुंची, नौसर और आसपास के ग्रामीण बड़ी संख्या में सीएचसी पहुंच गए। आक्रोशित ग्रामीणों ने मिल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया और सच्चाई छिपाने की कोशिश करने का भी दावा किया।
घर में मातम का आलम यह है कि विशाल की पत्नी सीमा, जो गोंगावा गांव की रहने वाली हैं और दो साल पहले ही उसकी जीवनसंगिनी बनी थीं, बार-बार बेसुध हो जा रही हैं। उनका बस यही सवाल था-"जो सुबह हँसते हुए गया, वह लौटकर यूं क्यों आया?"
पुलिस जांच में जुटी, मिल प्रशासन ने मदद का भरोसा दिया
मामले की जानकारी मिलते ही भीरा थाना पुलिस मौके पर पहुंची। थानाध्यक्ष सुनील मलिक ने बताया कि शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है और मौत की वजह साफ करने के लिए जांच शुरू कर दी गई है।
मिल के अधिकारियों ने परिवार को हर संभव मदद देने का आश्वासन दिया है, लेकिन अब सवाल यह है कि क्या सिर्फ आश्वासन से न्याय मिल सकता है?
एक बेटे, एक पति और एक मजदूर की कहानी का अंत... या शुरुआत?
विशाल राज की मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं-क्या मिल में सुरक्षा के पर्याप्त इंतज़ाम थे? क्या कामगारों की ज़िंदगी सस्ती होती जा रही है? और क्या हर हादसे को ‘दिल का दौरा’ कहकर टाला जा सकता है?
इन सवालों के जवाब शायद प्रशासन, जांच और वक्त देगा... लेकिन विशाल की पत्नी की चीखें और गांव की खामोशी फिलहाल सब कुछ कह रही हैं।