नरायनपुर गांव में एक 40 वर्षीय शख्स कथा सुनने निकला लेकिन लाश बनकर लौटा। श्रीमद्भागवत कथा के आयोजन स्थल तक नहीं पहुंचा। पुलिस जांच में जुटी है।
कथा की रात लौटे बिना रह गया शख्स, अगली सुबह नरायनपुर की सड़क पर लाश बनकर मिला
पंश्याम त्रिपाठी/बनारसी मौर्या
नरायनपुर गांव में कथा चल रही थी, भक्त जुटे थे, भक्ति के बीच एक आदमी गया और फिर कभी नहीं लौटा। अगली सुबह वही शख्स नरायनपुर की सड़क किनारे मृत अवस्था में मिला। घटना ने पूरे गांव को हिला कर रख दिया है।
सुबह-सुबह गांव में फैला मातम
बुधवार की सुबह नरायनपुर गांव में उस वक्त अफरा-तफरी मच गई जब खडौंवा-नरायनपुर संपर्क मार्ग पर एक अधेड़ व्यक्ति की लाश संदिग्ध हालात में पड़ी मिली। ग्रामीणों की सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
मृतक की पहचान हनुमान (40), पुत्र नीबर, निवासी निरिया काजीपुर, थाना नवाबगंज, जनपद गोंडा के रूप में हुई है।
श्रद्धा से शुरू हुआ सफर मौत पर खत्म
मृतक के भाई फूलचंद ने बताया कि मंगलवार की शाम हनुमान नरायनपुर में श्रवण पुत्र सोमई के यहां आयोजित श्रीमद्भागवत कथा सुनने गए थे। मगर वो न कथा में पहुंचे, न ही घर लौटे।
सुबह जब पुलिस की कॉल आई तो परिवार पर जैसे बिजली गिर पड़ी-बताया गया कि हनुमान की लाश सड़क किनारे पड़ी है।
लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि कथा के आयोजक की पत्नी सावित्री देवी ने कहा कि हनुमान उनके यहां आया ही नहीं। तो वह गया कहां?
पारिवारिक पृष्ठभूमि और टूटता परिवार
हनुमान चार भाइयों में सबसे बड़ा था और खेती-बाड़ी कर परिवार का पेट पालता था। उसके भाई मंगल (35), फूलचंद (32) और लक्ष्मण (24) मेहनत-मजदूरी करते हैं।
उनके पिता नीबर की मृत्यु करीब 20 वर्ष पहले हो चुकी थी।
मृतक के तीन बच्चे - बेटा सुग्रीव और बेटियां पूजा व मोहिनी हैं, जो अब पिता की छांव से वंचित हो गए हैं। मां शिवपता और पत्नी बिंदा का रो-रो कर बुरा हाल है।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार, पर गांव में खड़े कई सवाल
थानाध्यक्ष नवाबगंज अभय सिंह ने बताया कि शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है और फिलहाल किसी पर शक या आरोप नहीं लगा है।
पुलिस हर एंगल से जांच कर रही है। फिलहाल इस मौत के पीछे क्या रहस्य है।
क्या यह कोई रची गई साजिश है? या फिर कोई निजी रंजिश? सच्चाई पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही सामने आएगी।